धाकड़ समुदाय राजस्थान और मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है।
राजस्थान के कोटा, बारां, झालावाड़, बूंदी, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर, टोंक, अजमेर, बांसवाड़ा और चित्तौड़गढ़ जिलों में तथा मध्य प्रदेश के रतलाम, भोपाल, गुना, ग्वालियर, शिवपुरी, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, विदिशा और अशोकनगर जिलों में धाकड़ समाज के सामूहिक सम्मेलन बड़ी धूमधाम से आयोजित किए जाते हैं।
इन धाकड़ समाज सम्मेलनों में सामूहिक विवाह, युवक-युवती परिचय सम्मेलन और सांस्कृतिक आयोजन शामिल होते हैं, जो समुदाय के बीच एकता, संवाद और परंपरा के संरक्षण का प्रतीक हैं।
यह न केवल विवाह योग्य युवक-युवतियों को एक मंच प्रदान करते हैं, बल्कि समाज के बुज़ुर्गों, परिवारों और युवाओं को भी एक साथ जोड़ने का अवसर देते हैं।
सामूहिक विवाह सम्मेलन विशेष रूप से समाज की आर्थिक सहकारिता और सामाजिक समरसता को मजबूत करते हैं।
इन आयोजनों में विवाह पारंपरिक विधि-विधान से संपन्न होते हैं, जिससे सांस्कृतिक गौरव और आपसी भाईचारा दोनों कायम रहते हैं।
ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों तक, इन सम्मेलनों की परंपरा वर्षों से चली आ रही है और आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।
धाकड़ समाज का सामेलन उत्सव उनके सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है — जो संस्कृति, एकजुटता और समुदायिक पहचान को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।